कृष्ण और राधा का मिलन - Spiritual HelpingEra

Saturday, June 23, 2018

कृष्ण और राधा का मिलन



राधे राधे जी
      जय श्री राधा माधव


वैसे तो राधा और कृष्ण का मिलन  अनेकों बार हुआ है,  लेकिंन ये 5 मुलाकातें उनकें जीवन 
की खास रहीं हैं...!!
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देवी राधा को पुराणों में श्री कृष्ण की 
शश्वत जीवनसंगिनी बताया गया है। 
ब्रह्मवैवर्त पुराण में बताया गया है कि 
राधा और कृष्ण का प्रेम इस लोक का 
नहीं बल्कि परलोक का है। सृष्टि के 
आरंभ से और सृष्टि के अंत होने के 
बाद भी दोनों नित्य गोलोक में वास 
करते हैं।

(प्रथम मिलन श्री कृष्ण के साथ)
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राधा जी भगवान श्री कृष्ण से 11 महीने
17 दिन बड़ी थीं....
राधा जी कृष्ण के जन्मोत्सव पर अपनी 
माता कीर्ति के साथ नंदगांव आई थी 
यहां श्री कृष्ण पालने में झूल रहे थे और 
राधा माता की गोद में थी।

(दूसरी मुलाकात)
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दूसरी मुलाकात लौकिक न होकर 
अलौकिक थी। इसी दूसरे मिलन में
श्री राधा ने भगवान श्री कृष्ण के साथ 
भांडीर वन में विवाह कर लिया,

(तीसरी मुलाकात)
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राधा कृष्ण की तीसरी मुलाकात और 
प्रेम की शुरुआत संकेत नामक स्थान 
से माना जाता है। नंद गांव से चार 
मील की दूरी पर बसा है बरसाना गांव
बरसाना को राधा जी की जन्मस्थली 
माना जाता है। नंदगांव और बरसाना के 
बीच में एक गांव है जो 'संकेत' कहलाता है
इस स्थान के विषय में मान्यता है कि 
यहीं पर तीसरी बार भगवान श्री कृष्ण 
और राधा जी का लौकिक मिलन हुआ था। 
हर साल राधाष्टमी यानी भाद्र शुक्ल अष्टमी 
से चतुर्दशी तिथि तक यहां मेला लगता है 
और राधा कृष्ण के प्रेम को याद कर 
भक्तगण आनंदित होते हैं।

(चौथी मुलाकात)
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यह चौथी मुलाकात उस समय की है जब
राधा रानी 14 साल की थीं, और भगवान
श्री कृष्ण उन्हें छोड़कर हमेशा के लिऐ
मथुरा जा रहे थे, दोंनो का मन बहुत दुखी
था, पर किसी ने भी एक दूसरे से बात नही
की, बस एक दूसरे को देखते रहे, राधा
जानती थीं कि कृष्ण अब कभी लौटकर
नहीं आयेंगे, कृष्ण भी जानते थे कि राधा
को वो अब कभी नहीं देख पायेंगे, उसी
समय भगवान श्री कृष्ण ने राधा की 
मोहिनी मूरत को अपने ह्रदय मे बसा 
लिया और छोड़कर चले गये,

(पांचवी और आखरी मुलाकात)
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पांचमी मुलाकात राधा की भगवान श्री
कृष्ण से द्वारिकापुरी में हुई, राधा का अन्त
समय था, जीवन के कुछ ही क्षण बचे थे,
तो भगवान श्री कृष्ण ने राधा से कहा
" हे राधे" तमने आज तक जीवन में मुझ 
से कुछ नहीं मांगा, अब आखरी समय है
कुछ तो मांगो, राधा जी ने मना कर दिया
कृष्ण के बार बार कहने पर, 
श्री राधा रानी ने बस एक ही इच्छा प्रकट
की वो भगवान श्री कृष्ण को बंसी बजाते 
हुऐ देखना चाहती हैं,
भगवान श्री कृष्ण ने जब बंसी बजाई तो
बंसी को सुनते ही राधा ने अपने प्राण 
त्याग दियें, यह देख भगवान श्री कृष्ण
और उनकी अर्धागिनी रुकमणी दोनों
व्याकुल हो गये, भगवान श्री कृष्ण
रुकमणी से बोले, प्रिये यह बंसी मेरे अधरों
पर आज तक जिनके लिये बजी आज वो ही
इस संसार को छोड़कर चलीं गयीं,
अब इस बंसी को मेरे पास रहने का कोई
अधिकार नही है, भगवान श्री कृष्ण ने 
बंसी उठाई तुरंन्त ही तोड़ दी और उसे
कोसों दूर फेक दिया
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